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ज़िदगी ने जब भी कभी हमे रुलाना चाहा ...

ज़िदगी ने जब भी कभी हमे रुलाना चाहा हमने ज़िदगी को हर एक मकसद हसाना चाहा,!!!!!! ...................................... वक्त के साथ चलते चले गये, ज़िदगी ने हर बार किस्मत का बहाना चाहा, हम भी खुदार थे खुदारी से जिए, खता ना की ना बेवजह हमने मनाना चाहा, जो मेरा हे जो लोटकर सब आयेगा, अपने सार मे आपनी ज़िदगी को बनाना चाहा कुछ लिख लिया यू ही बेते बेते, जब भी अधूरी खवहिशो ने खुद मे जलाना चाहा वो बचपन था अब सब समझदार कहते, यही दोर था जब ज़िदगी ने ही ज़िदगी से मिलाना चाहा P@W@N

कोशीश करो हमेंशा रोशनी के लिए जलो...............................

कोशीश करो हमेंशा रोशनी के लिए जलो कभी राह में गिरो तो सभलो फिर चलो, होसलो को हिम्मत बनाकर चलो एक हद में, जिदगी तुम भी जीना सीखो खुद में!!!!!! सफर-ए जिदगी में यहा सब कुछ सहना हे, रुकना नही बस पानी के तरह बहाना हे, कितने भी मुशिकल आये खुश रहना हे, जिदगी के उसूलो एक विश्वास की जद में जिदगी तुम भी जीना सीखो खुद में!!!!!! कुछ पलो के लिए अधेरा हुआ कल फिर सवेरा होगा, आज नही हे तो क्या मेरा कल तो मेरा ही होगा, कुछ हो जाए यहा ना मेरा उदास चेहरा होगा, जेसा हूँ अच्छा हूँ रहना बडा दिल के कद में जिदगी तुम भी जीना सीखो खुद में!!!!!!