सफर तो यहा सबका मूशिक्ल हे,

सफर तो यहा सबका मूशिक्ल हे,
अब तक हमने सिर्फ़ नादानी मे काट दिया,
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किस्मत के हवाले तुम हो हम नही,
चलो वक्त को वक्त रहते बदला जाये,


एक हार ने ज़िदगी की हार ना हो
दोर ऐसा ना हो की खत्म हो होसला जाये ,

मुस्कूराहट बने हम सब चेहरो की,
नफरत के ईस दोर से अब निकला जाये,

चलेगे ओर अब मजिल पर रुकेगे,
गिरे हे तो क्या, अब खुद से ही सभला जाये,

हम सिर्फ़ हमसे हे ,हमसे थे ,
जो हे साथ उसके साथ ,फरक नही जो भला जाये,

हम वक्त को अपनी अहमियत बताये,
रुके कही पर ना,अब सिर्फ़ चला ओर चला जाये
p@W@n

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