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Showing posts from June, 2016

ये समझदारी भी किस काम की हे यहा !

ये समझदारी भी किस काम की हे यहा, बडा ही अज़ान ओर असमझ सा रास्ता हे मेरा !!! ........................................................... चलने का जून्ँन हे अभी भी मुझमे रास्तो की खबर कहा, अब तो सिर्फ़ चाह रुककर थमकर बेठने की किसी ठिकाने पर, अजीब सी कशमकश हे ज़िदगी के इस दोर मे यहा, वही निगाहे वही अपनापन ओर ज़िदगी फिर मुकम्मएल निशाने पर, हमसे क्या पूछते हे हम क्या हे हम क्या थे, सिर्फ़ मकसद ओर बचा यही सवाल हे यहा क्या जमाने पर, जानता हू खवाब ओर हकी कत के हर एक वक्त को, ये जवानी हे ,,वो बचपना था जो निकल गया यू बहलाने पर, जाना हे अगर भूला सको तो भुला दो सबसे नफरत. यू बड़ा आसान सी ज़िदगी होगी गुजर जाये हसने हसाने पर p@W@n

सफर तो यहा सबका मूशिक्ल हे,

सफर तो यहा सबका मूशिक्ल हे, अब तक हमने सिर्फ़ नादानी मे काट दिया, ............................................ किस्मत के हवाले तुम हो हम नही, चलो वक्त को वक्त रहते बदला जाये, एक हार ने ज़िदगी की हार ना हो दोर ऐसा ना हो की खत्म हो होसला जाये , मुस्कूराहट बने हम सब चेहरो की, नफरत के ईस दोर से अब निकला जाये, चलेगे ओर अब मजिल पर रुकेगे, गिरे हे तो क्या, अब खुद से ही सभला जाये, हम सिर्फ़ हमसे हे ,हमसे थे , जो हे साथ उसके साथ ,फरक नही जो भला जाये, हम वक्त को अपनी अहमियत बताये, रुके कही पर ना,अब सिर्फ़ चला ओर चला जाये p@W@n

इश्क की वफ़ा इतनी सी मेरे शहर मे !

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इश्क की वफ़ा इतनी सी मेरे शहर मे, आज ये खाक हे ,,कल वो खाक हे उल्झन उलफन हे इस जीस्त मे, तुझे मुझे हराने की कोशीश बड़ी नापाक हे, ये तेरी केसी नफरत ले रहा हू ना जाने, शायद तुझे भी मेरी मोहब्बत की फिराक हे, चेहरो की कारिस्तानी इतनी हे बात दबी कुछ हे ओर दिल मे एक सुराक हे मै लिखूगा हर सच हर कदम, कल भी वही थी आज भी वही बात बेबाक हे

मुझे शोक हे आज भी सिर्फ़ खुद मे जीने का,

इस जमाने मे यू भी खुद को किस कदर सभाल रहा हू, सच कहता हू उतनी ही जमाने की नफरत पाल रहा हू. ................................................................. मेरे जुनून मेरा शोक देख तू मे बदला नही, मे वो नही जो आज भी सिक्को पे किस्मत उछाल रहा हू, मुझे मालूम हे मै क्या था, ओर आज क्या हू, तेरी ये महफ़िले तुझे मुबारक ,मालूम कर मै कल कीतना कमाल रहा हू मुझे शोक हे आज भी सिर्फ़ खुद मे जीने का, पर आज अफसोस बेवजह क्यू ये वक्त मे तुझमे निकाल रहा हू. जनता हू ये राहे मूशिक्ल हे ,,जमीन बजर हे , पर हर उम्मीद के दरमियान बीज आज भी मे वही डाल रहा हू, आज भले ये रग जमाने मे ढल जाएगा, क्ल की वो सादगी, सच्चाई , अच्छई मे एक मिसाल रहा हू p@w@n