Posts

Showing posts from March, 2016

ये शहर मुझसे मेरी ओकात पूछता हे,

Image
ये शहर मुझसे मेरी ओकात पूछता हे, मुझे छोटा समझ बखान अपने कद का बहुत आसान हुआ आज मुझे खुद को समझना, यू केसे नादान समझ छीन लिया हिस्सा मेरी जद का मे खुद मे रहा जब तक महफूज था, बड़ा बेदर्द था वो नजारा उस पार सरहद का वो भी चला सब बड़ा सरल समझ कर, आसान तुझे भी नही चेहरा पहचानना अपने हमदर्द का यहा सब कसूर जानाब अपना रहा खुद का, ये किस्सा रहा हे हद से वफादारी की ज़िद का p@W@n

क्या पता यहा फ़िर इश्क मिल जाये

क्या पता यहा फ़िर इश्क मिल जाये, सुना हे इस शहर मे तनहा बहुत हे !! ................................................. .......... जीने की वजह मुझमे मोज़ूद होती,, अग्रर ज़िदगी वफादार थोडी खुद होती आर पार का हर किस्सा ही यहा तो, काश मालूम हमे भी एक सरहद होती, सभाल कर रख लेते खुद को, इस बेकारी मे बस कुछ तो हद होती यू भी केसे रुह खोते यहा, खुद की हिफ़ाजत सिर्फ़ मकसद होती वो इश्क हमेशा एक मिसाल देता, सिर्फ़ ये तेरी सच्चाई तेरा वज़ूद होती !!! p@W@n